Tuesday, February 26, 2019

पाकिस्तान में भारतीय हवाई हमले' की फ़ेक फ़ोटो हुईं वायरल

सोशल मीडिया में बड़े पैमाने पर ऐसी तस्वीरें शेयर की जा रही हैं जिनमें कथित तौर पर पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए भारत की ओर से पाकिस्तान में किए गए हवाई हमले को दिखाया गया है.

भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने पुष्टि की है कि मंगलवार तड़के भारत ने एक अभियान चलाकर चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के पाकिस्तान में बालाकोट स्थित सबसे बड़े ट्रेनिंग कैंप को निशाना बनाया.

राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने हवाई हमले के लिए भारतीय वायुसेना को बधाई दी है.

विजय गोखले ने हमले से संबंधित कोई तस्वीर जारी नहीं की. लेकिन दक्षिणपंथी रुझान वाले कई सोशल मीडिया पन्नों से तस्वीरें जारी करते हुए ये दावा किया गया कि ये तस्वीरें हवाई हमले की तस्वीरें हैं.

फ़ेसबुक ग्रुप और व्हाट्सऐप ग्रुप में ये तस्वीरें हज़ारों दफ़ा शेयर की गई हैं.

एक तस्वीर इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि ये जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अज़हर का कंट्रोल रूम और तीन ट्रेनिंग कैंप हैं. इसी महीने पुलवामा में सीआरपीएफ़ के क़ाफ़िले पर हमले की ज़िम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी.

इस तस्वीर के कैप्शन में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारतीय वायु सेना का पहली बार इस्तेमाल किया गया है. लेकिन साल 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी भारतीय वायु सेना का इस्तेमाल किया गया था.

वायरल हुई ये तस्वीर फ़रवरी में राजस्थान के पोखरण में हुए भारतीय वायु सेना के बड़े अभ्यास "वायु शक्ति-2019" या एयर पॉवर के दौरान ली गई थी. ये तस्वीर एसोसिएट प्रेस (एपी) के अजित सोलंकी ने ली थी.

एक दूसरी तस्वीर को "पुलवामा के बदले" के सबूत के तौर पर शेयर किया जा रहा है. इसमें एक विमान को बम गिराते दिखाया गया है.

हालांकि, इस तस्वीर का भारत या पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं है.

ये तस्वीर साल 2014 में भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है. तब ये दावा किया गया था कि ये तस्वीर ग़ज़ा में इसराइल के हमले 'ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज़' के दौरान ली गई थी.

हालांकि, ये एक काल्पनिक तस्वीर है. इसे रोम के पत्रकार डेविड सेनसिओत्ती के ब्लॉग 'द एविएशनिस्ट' के लिए ख़ास तौर पर बनाया गया था. ये तस्वीर 2012 में तैयार की गई थी. इसमें बताया गया था कि F-15 के ज़रिए तेहरान स्थित एक परमाणु संयंत्र पर हमला किया जाए तो कैसा दृश्य होगा.

तीसरी तस्वीर एक सैटेलाइट इमेज है. इसका कैप्शन है, "नई क़ब्रगाह के लिए पाकिस्तान को बधाई."

शेयर की जा रही ये तस्वीर अप्रैल 2018 की है. ये तस्वीर सीरिया के "हिम शिनशार कैमिकल वेपन्स स्टोरेज साइट" पर अमरीका की अगुवाई वाली गठबंधन सेना के मिसाइल हमले से हुए नुक़सान के शुरुआती आकलन को दिखाती है. इस तस्वीर का श्रेय एसोसिएट प्रेस (एपी) को दिया गया है.

अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस के मुताबिक़ उनकी वायु सेना और नौसेना ने सीरिया की तीन प्रमुख साइटों को निशाना बनाते हुए 105 मिसाइलें दागीं. ये कथित तौर पर सीरिया के "रासायनिक हथियारों के ढांचे" के ख़िलाफ़ कार्रवाई थी.

हवाई हमले की एक और तस्वीर बड़े पैमाने पर शेयर की जा रही है. ये तस्वीर बीते हफ़्ते भारतीय वायुसेना के पोखरण में हुए अभ्यास के दौरान ली गई थी.

ये अभ्यास 14 फ़रवरी 2019 को भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले के दो दिन बाद हुआ. ये तस्वीर रॉयटर्स के अमित दवे ने ली है.

Wednesday, February 20, 2019

पुलवामा हमला: मसूद अज़हर को 'आतंकवादी' क्यों नहीं मानता है चीन?

इस साल 14 फरवरी को पुलवामा में सेंट्रल रिज़र्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के क़ाफ़िले पर जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले के बाद मसूद अज़हर का नाम एक बार फिर सुर्ख़ियों में आया है.

जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान का एक चरमपंथी समूह है और मसूद अज़हर इसके मुखिया हैं. भारत चाहता है कि मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय चरमपंथी घोषित किया जाए.

इसके लिए भारत सुरक्षा परिषद में गुहार लगाता रहा है, लेकिन हर बार चीन ने भारत के प्रस्ताव पर वीटो कर दिया. चीन ऐसा क्यों करता है?

इस सवाल पर भारत के पूर्व राजनयिक विवेक काटजू कहते हैं, "चीन पाकिस्तानी फौज को मसूद अज़हर के मामले में शह देता है. मसूद अज़हर पाकिस्तानी फौज का एक वर्चुअल हिस्सा है. मसूद अज़हर, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हाफ़िज़ सईद पाकिस्तान की विदेश नीति और सामरिक नीति को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं."

विवेक काटजू कहते हैं, "मुझे लगता है कि पाकिस्तानी सेना ने चीन से विनती की है कि आप मसूद अज़हर को यूएन के तहत चरमपंथी घोषित ना होने दें. जबकि जैश-ए-मोहम्मद चरमपंथी संगठन घोषित हो चुका है."

"लेकिन मसूद अज़हर की तरफ़ पाकिस्तानी सेना का विशेष लगाव है और इसी लगाव की वजह से उन्होंने चीन को फुसला रखा है कि वो मसूद अज़हर को शह देता रहे."

इस्लामाबाद में बीबीसी संवाददाता आसिफ़ फ़ारूक़ी कहते हैं, "चीन से पाकिस्तान की दोस्ती हिमालय से ऊंची, समंदर से गहरी और शहद से मीठी है. बीचे चार-पांच दशक से हम ये सुनते आ रहे हैं. पाकिस्तान में बहुत अनिश्चितता रही है, लेकिन ये दोस्ती बदस्तूर जारी है."

"पिछले दो-तीन साल में इसमें नई जान आई है. पाकिस्तान ने चीन में जमकर निवेश किया है. पाकिस्तान में राजनीति, सेना और आम लोगों में बहुत मुश्किल से कोई ऐसा मिलेगा जो चीन के ख़िलाफ़ कुछ कहे."

हालांकि पाकिस्तान में एक ऐसा बुद्धिजीवी वर्ग भी है जो पाकिस्तान में चीन के हद से ज्यादा दख़ल को ठीक नहीं मानते और कहते हैं कि दोस्ती रखनी चाहिए लेकिन 'लिमिट' में रखना चाहिए.

बीजिंग में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार सैबल दासगुप्ता मानते हैं कि चीन पाकिस्तान का साथ क्यों देता है, इसे समझने के लिए हमें उन बातों से परे जाना होगा जिन्हें सुनने-समझने की हमारी आदत पड़ गई है.

सैबल दासगुप्ता कहते हैं, "जैसे भारत में ये कहा जाता है कि चीन, पाकिस्तान का इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ कर रहा है. ये बात कुछ हद तक सही है. ऐसा करके भारत को आर्थिक महाशक्ति बनने से रोका जा सकता है. लेकिन चीन और पाकिस्तान के रिश्ते आज के नहीं है."

"1950 के दशक में काराकोरम दर्रे को बिना किसी तकनीकी मदद के चौड़ा किया गया था ताकि चीन के ट्रक पाकिस्तान में जा सकें. आज भी वही एकमात्र ज़रिया है जिससे आप चीन से पाकिस्तान जा सकते हैं. आज का चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर वही सड़क है जिसे विस्तार दिया गया है."

सैबल इस दोस्ती का एक और पहलू बताते हैं, "इसी तरह अक्साई चीन का जो हिस्सा है, पाकिस्तान को पता था कि उस हिस्से को संभालना उसके बस की बात नहीं है, इसलिए पाकिस्तान ने वो हिस्सा चीन को दे दिया. पाकिस्तान और चीन का ये रिश्ता पुराना है."

"बीच में ये हुआ कि अमरीका आया और पाकिस्तान को डॉलर देने लगा. चीन के पास देने के लिए इतने पैसे तो थे नहीं. डॉलर से पाकिस्तान और अमरीका का प्यार परवान चढ़ा. आज भी करीब 60 अरब डॉलर हैं जो पाकिस्तान को अमरीका को चुकाना है."

"लेकिन अब चीन पाकिस्तान को आर्थिक मदद दे रहा है. वो उसका पड़ोसी है और भारत के ख़िलाफ़ भी है. चीन से विमान और टैंक भी मिल रहे हैं सेना के लिए. पाकिस्तान को और क्या चाहिए."

भारत के पूर्व राजनयिक विवेक काटजू कहते हैं कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर को भारत के साथ विश्व के अन्य देश भी चरमपंथी मानते हैं, लेकिन सिर्फ चीन के वीटो की वजह से मसूद अज़हर हर बार बच निकलता है.

वो कहते हैं, ''मसूद अज़हर, वर्षों पहले हरक़त उल अंसार का हिस्सा था. भारत में कश्मीर में पकड़ा गया, जेल की सज़ा हुई. लेकिन साल 1999 में कंधार विमान अपहरण मामले में 160 लोगों की जान बचाने के लिए भारत को मसूद अज़हर को रिहा करना पड़ा."

"रिहाई के बाद मसूद अज़हर पाकिस्तान गया. पाकिस्तान में उसका ज़ोरदार स्वागत हुआ. रिहाई के कुछ महीनों के बाद उसने बहावलपुर में अपना संगठन बनाया. पाकिस्तान की सरकार ने उसकी भरपूर मदद की और फिर कश्मीर में उसका इस्तेमाल किया गया."

उनका दावा है, "भारत ने ही नहीं, बल्कि अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और भी कई देश भारत की बात से सहमत है. उन्हें भी संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1267 के तहत मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय चरमपंथी घोषित करने में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन चीन अड़ंगा लगाए हुए है. इसकी एक ही वजह है पाकिस्तान और ख़ास तौर पर पाकिस्तान की सेना."

वरिष्ठ पत्रकार सैबल दासगुप्ता मसूद अज़हर के ख़िलाफ़ भारत के प्रस्ताव पर चीन के वीटो की तीन वजह बताते हैं.

वो कहते हैं, "चीन पहली वजह ये बताता है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कुछ नियम-कानून हैं जिनका पालन करना होता है. उस हिसाब से जब लिस्टिंग होती है तो हम उस हिसाब से सोचते हैं."

"दूसरी वजह वो ये बताता है कि मसूर अज़हर के ख़िलाफ़ भारत कोई ख़ास सबूत नहीं दे पाता जिसे हम मान लें, जब सबूत देंगे तब देखेंगे."

"तीसरीवजह, चीन ये कहता है कि सुरक्षा परिषद के सभी सदस्यों का इस मामले में भारत को समर्थन हासिल नहीं है. ये अलग बात है कि भारत कहता है कि उसे चीन के अलावा सभी का समर्थन हासिल है."

इस्लामाबाद में बीबीसी संवाददाता आसिफ़ फ़ारूक़ी कहते हैं कि पाकिस्तान में भारत की तरह इस बात की बहुत चर्चा नहीं होती कि चीन ने भारत के प्रस्ताव पर वीटो कर दिया है.

वो कहते हैं, "चीन के वीटो की वजह पाकिस्तान से दोस्ती नहीं, बल्कि उसकी भारत से दुश्मनी है. चरमपंथी गुटों को इसी का फायदा मिलता है. दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाली बात है. संयुक्त राष्ट्र में चीन का रवैया यही दिखाता है."

Thursday, February 14, 2019

खुफिया अलर्ट, 50 गाड़ियां, 2500 जवान, फिर भी हुआ आत्मघाती हमला

जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले से जुड़ी बड़ी जानकारी सामने आई है. बताया जा रहा है कि श्रीनगर हाइवे पर सुरक्षाबलों के इस काफिले में करीब 50 गाड़ियां शामिल थी. इनमें 20 से अधिक बस, ट्रक और एसयूवी गाड़ियां थी. हर बस और ट्रक में करीब 35 से 40 कॉन्स्टेबल सवार थे. काफिला जब हाइवे से गुजर रहा था, तब काफी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गए थे. बावजूद इसके इस बड़े आत्मघाती हमले को अंजाम दिया गया.

इस आत्मघाती हमले का शिकार 76Bn CRPF की बस हुई थी. यात्रियों की सूची के अनुसार बस में करीब 39 जवान थे. आत्मघाती हमले को अंजाम देने वाला है आदिल अहमद डार, पुलवामा के काकपोरा का ही रहने वाला है. वह पिछले साल फरवरी में जाकिर मुसा के गज़वत उल हिंद में शामिल होने के बाद आतंकी बना था. कुछ महीने पहले ही उसने जैश ज्वॉइन किया था.

सुरक्षाबलों के सूत्रों के मुताबिक, हाई अलर्ट के साथ काफिला श्रीनगर की तरफ आ रहा था. काफिला गुंडीपोरा के पास पहुंचा था, तभी आईईडी से भरी एक कार ने सुरक्षाबलों के एक बस को टक्कर मार दी. इस टक्कर के बाद ही धमाका हुआ. धमाके में अभी 30 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए हैं. करीब 45 जवान घायल बताए जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि यह कश्मीर के इतिहास का दूसरा बड़ा हमला है. करीब एक हफ्ते पहले से ही ऐसे किसी आतंकी हमले को लेकर अलर्ट जताया गया था. इसके बावजूद ऐसा हमला होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चिंता की बात है.

जिस बस को निशाना बनाया है, उसकी क्षमता 32 थी. कार ने पहले बस का पीछा किया और फिर टक्कर मारी. इसके बाद जोरदार ब्लास्ट हुआ. खास बात है कि कश्मीर में यह पहला आत्मघाती हमला है, जिसे कार से अंजाम दिया गया है. अबतक सीरिया और अफगानिस्तान में इस तरह के हमले किए जाते थे. इस हमले के बाद सुरक्षाबल की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि इसे एक लोकल आतंकी ने अंजाम दिया. इसका नाम आदिल है. बताया जा रहा है कि पिछले साल में 192 लोकल युवा आतंकी बने.

इससे पहले भारतीय खुफिया एजेंसियों ने एक अलर्ट भी जारी किया था. इस अलर्ट में कहा गया था कि आतंकी संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी पर बड़ा हमला कर सकते हैं. इस हमले को अंजाम देने के लिए वह आईईडी ब्लास्ट कर सकते हैं. सभी सुरक्षा बल सावधान रहें. इसके साथ ही एरिया को बिना सेंसिटाइज किए उस एरिया में ड्यूटी पर न जाएं.

इस आरोप पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने पलटवार किया. उन्होंने कहा कि ये वही कांग्रेस पार्टी है जिन्होंने हाल ही में अपने नेता नवजोत सिंह सिद्धू को पाकिस्तान भेजा था. संबित पात्रा ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू ने राहुल गांधी के कहने पर पाकिस्तान में जीवे-जीवे पाकिस्तान के नारे लगाए थे.

प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इसका तीखा जवाब दिया और कहा कि 56 इंच के सीने की बात करने वाले नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनाव में वादे किए थे कि पाकिस्तान को आंख दिखाएंगे. लेकिन नरेंद्र मोदी ने सरकार बनाते ही नवाज शरीफ को बुला लिया, उसके बाद बिना किसी को बताए शादी में शामिल होने के लिए नवाज शरीफ के घर पाकिस्तान चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारा हक है कि हम देश के प्रधानमंत्री से सवाल पूछें.

आपको बता दें कि पिछले ही साल पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर खोलने की बात कही थी, पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बुलावे पर पाकिस्तान गए थे, वहां पर भाषण देते हुए उन्होंने इमरान खान की काफी तारीफ की थी.

गौरतलब है कि गुरुवार दोपहर को पुलवामा में CRPF की बस पर हमला कर दिया. इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली है. अभी तक इस हमले में 20 से अधिक जवान शहीद हो गए हैं, जबकि 40 से अधिक जवान घायल हुए हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर जाएंगे.

Thursday, February 7, 2019

中国经济是否景气?看你的年终奖就知道了

年终岁末,在中国,回家过年的都市白领,最头疼的可能是亲戚朋友的“催婚”。其次,可能就是围绕年终奖多寡的各种吐槽。

2018年,中国经济经历了贸易战、增速放缓、股市低迷,这些经济事件在年终奖上多多少少都能看到影响。

根据不同机构近期发布的年终奖分析报告,或许可以折射出中国经济的现状和前景。

叫苦不迭:互联网、影视、金融
过去十年互联网是中国最具成长性的行业,也是高工资集中的领域。今年关于年终奖的大事件却最早从这里发端。

2019年初,知识服务公司“得到”在内部宣布,取消公司产品技术团队今年的年终奖,并称不是为了节约成本,也不是因为经济寒冬或者裁员,而是因为认为年终奖制度不合理,对真正表现突出的同事是不公平的,是所谓的懒政。

这一解释未能说服外界,还在社交媒体上引来一片指责。然而,紧接着,网约车公司滴滴宣布年终奖减半,高管更是一分不拿,而在此前一年,滴滴年终奖最高档达到10个月工资,平均也有2-4个月工资。美团和网易则身陷"年终奖前裁员"的质疑。

当然,有忧也有喜,中国最大的社交平台微信据称将发“人均280万元的年终奖”,不过,腾讯公关总监张军随即辟谣“年终奖有增长是真……人均280万?那是不可能的,醒一醒!”

同样“哀嚎一片”还有影视行业。名为“圈里人的隐藏者”的网友在微博上表示,“基本行业里有名的影视公司都在裁员和降薪,平台也在忙着反腐自查同时裁员。年终奖问了身边的人,基本各家都缩水,有的甚至缩了一半。”

影视业的寒冬指的是,范冰冰逃税案后,中国政府规范影视行业税收秩序,要求自查自纠。根据官方数据,截至2018年底,自查申报税款117.47亿元,已入库115.53亿元。有资深从业者在其朋友圈感叹,“不到规模一千亿的行业,补了一百多亿的税”。正因如此,新片的开机率锐减,相关从业者的年终奖也就没了着落。

另一个可以从侧面反映中国经济的数据,是香港金融从业者的年终奖。《南华早报》报道,由于去年股市行情惨淡,今年香港银行从业者的“花红”较往年少了20%。

整体趋势也与个体感受相符。中国一家人力资源服务网站智联招聘在针对中国2万名白领调查后,发布报告称,参与调查者中有55.17%表示能拿到年终奖,比例较2017年的66.1%下降近11%。

分行业来看,商业服务行业的白领能拿到年终奖的比例最多,为75.90%,其次是政府/非营利机构和金融业,分别为64.90%和63.14%,IT/通讯/电子/互联网行业垫底,仅有46.49%的白领能拿到年终奖。

不仅拿到奖金的人少了,数额也少了。调研数据显示,2018年全国白领年终奖总体均值为7100元,低于2017年的7278元。

往年,经常有中国公司发高额年终奖而成为热点话题,今年也不例外,但主角换成了外国公司。

美国电子烟公司Juul Labs拿出了20亿美元作为年终奖,1500员工平均每人能拿130万美元(合人民币近900万元)。Juul 是全球最受欢迎的电子烟品牌之一,市值已达380亿美元。