Thursday, December 27, 2018

बुलंदशहर हिंसा का बदल गया मुख्य अभियुक्तः पांच बड़ी ख़बरें

अब तक हत्या के इस मामले में मुख्य संदिग्ध के रूप में बजरंग दल के स्थानीय प्रमुख योगेश राज का नाम आ रहा था लेकिन अब पुलिस ने प्रशांत नट की गिरफ़्तारी कर उसे मुख्य अभियुक्त बताया है.

पुलिस ने बताया कि प्रशांत को गिरफ़्तार करने के बाद उसे घटनास्थल ले जाया गया और सीन को रीक्रिएट भी किया.

तीन दिसंबर, 2018 को बुलंदशहर में गुस्साई भीड़ के हमले में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक स्थानीय युवक सुमित की मौत हो गई थी. यह भीड़ उस क्षेत्र में कथित गो हत्या के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रही थी.

तीन तलाक़ बिल महिलाओं के ख़िलाफ़'
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने तीन तलाक़ बिल को मुस्लिम महिलाओं के ख़िलाफ़ बताया है.

उन्होंने कहा कि लाखों मुस्लिम महिलाओं के सड़क पर उतर कर तीन तलाक़ बिल का विरोध किया, विपक्षी पार्टियों और मुस्लिम संगठनों ने सेलेक्ट कमेटी को भेजने और उनके फ़ैसले के मुताबिक क़ानून बनाने की बात की थी लेकिन सरकार ने इन सभी चीज़ों को नज़रअंदाज किया जो लोकतंत्र के लिए सही नहीं है.

उन्होंने कहा कि लोकसभा से पारित होने के बाद यह बिल अगर राज्यसभा से भी पास होता है तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की लीगल कमेटी इस पर गौर करेगी और उसके बाद इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.

दूसरी तरफ़ इस बिल को लेकर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आज़म खां ने कहा है कि मुसलमानों को लिए क़ुरान ही मान्य है, तीन तलाक़ क़ानून क्या कहता है इससे उनका कोई लेना देना नहीं है.

उन्होंने कहा, "मुसलमान जानते हैं कि तलाक़ लेने के लिए क्या करना है. क़ुरान में तलाक़ के बारे में सबकुछ लिखा है. क़ुरान की बातों के अलावा तलाक़ के लिए कोई क़ानून मान्य नहीं है. तलाक़ के लिए मुसलमानों को सिर्फ़ क़ुरान का क़ानून ही मानना चाहिए."

उन्होंने कहा कि यह हमारा मजहबी मामला है. मुसलमानों के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड है. यह हमारा व्यक्तिगत मामला है कि मुसलमान कैसे शादी करेगा और कैसे तलाक़ लेगा.

हालांकि भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की सदस्य जाकिया सोमन ने विधेयक का स्वागत किया और हिंदू विवाह अधिनियम की तर्ज पर मुस्लिम विवाह अधिनियम की मांग की जो बहुविवाह और बच्चों के संरक्षण जैसे मुद्दों से निपटेगा.

मेघालयः मजदूरों को बचाने किर्लोस्कर मैदान में
मेघालय की खदान में पिछले 15 दिनों से फंसे 15 मजदूरों को बचाने के लिए पंप सेट बनाने वाली दिग्गज कंपनी किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड ने मदद की पेशकश की है.

पीटीआई के मुताबिक कंपनी मौके पर पहुंच गई है और खदान से पानी निकालने के लिए औजार मुहैया करा रही है.

ज़िला प्रशासन ने राज्य सरकार को उच्च शक्ति वाले पंप की मांग करते हुए पत्र लिखा था क्योंकि इस काम में लगे 25 हॉर्स पावर के पंप पर्याप्त साबित नहीं हो पा रहे थे.

साथ ही खदान से पानी निकालने का काम शनिवार को रोक दिया गया था क्योंकि खदान में पानी का स्तर कम नहीं हो रहा था.

उधर एनडीआरएफ ने मीडिया में आई उन ख़बरों का खंडन कर दिया जिसमें यह कहा गया था कि खदान में फंसे मजदूरों की मौत हो जाने का संदेह है क्योंकि एनडीआरएफ के गोताखोर जब खदान में उतरे थे उन्होंने 'दुर्गंध' महसूस की थी.

बचाव अभियान चला रहे गुवाहाटी की एनडीआरएफ बटालियन ने एक बयान में कहा कि सहायक कमांडेंट संतोष कुमार सिंह के 'दुर्गंध' वाले बयान को मीडिया ने ग़लत तरीके से लिया जिसे उन्होंने 'ठहरे हुए पानी' के संबंध में किया था.

Tuesday, December 18, 2018

यौन हिंसा की शिकार औरतों से वो मुलाक़ातः ब्लॉग

मेरी स्मृति में दर्ज मीना, सविता, कजरी, रीता, सुगंधा और सीमा आज भी अक्सर सुबह के सपनों में आ जाती हैं. कई बार जब मैं लम्बी सड़क यात्राओं पर होती हूं तब ऐसी ही पिछली किसी सड़क यात्रा के दौरान मिली नीतू, कविता, रबिया और सावनी के चेहरे अचानक मेरे आसपास से गुज़रते जंगलों से झांकते हुए से नज़र आते हैं.

कभी अकेले में घर की खिड़की से झांककर कॉलोनी के पार्क में खेलते बच्चों को देखती हूं तो गुड़िया, शीनू, संगीता और रविता की खनकती आवाज़ कानों में फिर से कानों में गूंज जाती है.

यह सब वह औरतें और लड़कियां हैं जिनसे बतौर रिपोर्टर मेरी मुलाक़ात बीते 8 सालों के दौरान हुई है. इनमें से किसी के भी असली नाम यहां नहीं लिखे गए हैं. क्योंकि इनमें से ज़्यादातर या तो ख़ुद यौन हिंसा का शिकार हुई हैं या फिर पीड़िता की माएं और नज़दीकी परिजन हैं.

ऊपर लिखे नामों के साथ ही कई और महिलाएं भी हैं जिन्होंने गुज़रे सालों में ख़ुद पर बीती हिंसा के अंधेरे को मेरे साथ साझा किया.

इनमें से कुछ महिलाओं की कहानियां हाल ही में प्रकाशित हुई मेरी किताब 'नो नेशन फ़ॉर विमन' में दर्ज हैं. भारत में बढ़ती यौन हिंसा पर लगातार रिपोर्टिंग के बाद लिखी गयी इस किताब में दर्ज कुल 13 चैप्टरों में शामिल बीसियों महिलाओं की ज़िंदगियों में से किसी की भी ज़िंदगी आज तक मेरी आंखों से ओझल नहीं हुई है.

लेकिन क्या कोई भी रिपोर्टर अपनी यात्राओं से लौटने के बाद उन किरदारों और उन कहानियों को वाकई छोड़ पाता है, जिसे कुछ ही घंटे पहले उसने इंसानी भरोसे और करुणा के एक नाज़ुक पुल पर चलकर हासिल किया था?

वो रुदन आज भी मेरे कानों में ताज़ा है
उदाहरण के लिए मुझे बुंदेलखंड के बीहड़ में मौजूद एक सूदूर गांव में मिली फूलबाई का चेहरा आज तक याद है. उनकी 14 साल की बेटी को बलात्कार के प्रयास के बाद ज़िंदा जला दिया गया था.

खड़ी बुंदेली में बात कर रही फूलबाई और मैं भले ही शुरुआत में एक दूसरे की भाषा ठीक-ठीक न समझ पा रहे हों, लेकिन हमारी आंखें संवाद कर रही थीं. मुझे याद है, फूलबाई ने अचानक अपनी एक कमरे की झोपड़ी के किसी कोने में छिपा कर रखा गई एक पुरानी पीतल की थाली उठाई और मेरे सामने उसे लेकर बैठ गयी. और फूट-फूट कर रोते हुए बोली, "यह परात मैंने अपनी मोड़ी (बेटी) के ब्याह के लिए पैसे जोड़-जोड़ कर ख़रीदा था. पर जला दिया... ख़राब करके ज़िंदा जला दिया उन्होंने मेरी मोड़ी को."

सात साल पहले का फूलबाई का यह रुदन आज भी मेरे कानों में ताज़ा है.

या पश्चिम बंगाल के बर्धमान ज़िले की उस माँ का रुदन जिनकी होनहार बेटी के शरीर को बलात्कार के बाद प्याज़ की परतों की तरह छीलकर उन्हीं के घर के पास बहने वाली नहर में फेंक दिया गया था.

या उत्तर प्रदेश के बदायूँ की उस माँ की चीख़ जिसकी नाबालिग बेटी को पड़ोस के थानेदार उठाकर ले गए थे. बलात्कार के बाद पुलिस की गाड़ी से घर के सामने छोड़ दी गयी इस बच्ची के पिता 'मेरा मुँह काला हो गया' कहते-कहते घटना के दस दिनों के भीतर ही इस दुनिया से कूच कर गए.

या त्रिपुरा की उस माँ की चीख़ जिनकी बेटी ने भारत के अंतिम छोर पर बसे एक दूर-दराज के आदिवासी गांव में स्थानीय पंचायत के चुनाव में खड़े होने का साहस दिखाया था. लेकिन चुनाव की तारीख़ से पहले ही बलात्कार के बाद बेटी की निर्मम हत्या कर दी गई. इन सभी माओं और बेटियों की आवाज़ें मेरे कानों में ज़िंदा हैं.

Friday, December 14, 2018

शाह का राहुल पर तंज- चौकीदार को चोर उन्हीं ने कहा जिन्हें मोदी से डर

राफेल मामले पर शुक्रवार को अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि चौकीदार को चोर उन्हीं लोगों ने कहा जिन्हें नरेंद्र मोदी से डर है। जब 2001 में एयरफोर्स ने विमानों की डिमांड रखी थी तो 2007 से 2014 तक यह सौदा क्यों फाइनल नहीं हुआ? राहुल गांधी को देश को यह जवाब देना चाहिए। इससे पहले मामले पर संसद में राजनाथ सिंह ने कहा कांग्रेस ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि धूमिल की, राहुल को माफी मांगना चाहिए। राफेल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राफेल विमान खरीद की प्रक्रिया में शक की कोई गुंजाइश नहीं है। इसमें कारोबारी पक्षपातों जैसी कोई बात सामने नहीं आई।

सत्य की जीत हुई- शाह
अमित शाह ने कहा- राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला का स्वागत करता हूं। आज सत्य की जीत हुई है। देश की जनता को गुमराह करने का इससे बड़ा प्रयास पहले कभी नहीं हुआ और वो भी यह प्रयास कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा किया गया। कांग्रेस अध्यक्ष ने यह प्रयास तत्काल फायदा लेने के लिए किया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से साबित कर दिया कि झूठ के पैर नहीं होते। 

भाजपा अध्यक्ष ने कहा- सुप्रीम कोर्ट की जांच में तीन मुद्दों पर सवाल उठाए गए थे। तीनों ही मुद्दों पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने स्पष्टता से अपना फैसला कोर्ट में सुनाया। डिसीजन मेकिंग के प्रति रिकॉर्ड की जांच कर सेट असाइड करने की कोशिश को कोर्ट ने नकार दिया। कोर्ट ने साफ किया कि पड़ोसी देश जब फोर्थ और फिफ्थ जेनरेशन के विमानों से सुसज्जित हो तो नए विमानों की खरीदी में देरी करना ठीक नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताई कि विमान की खरीदी देश के आर्थिक फायदे के तहत ही हुई। भारत सरकार का ऑफसेट पार्टनर चुनने में कोई रोल नहीं है। यह हम पर आरोप लगाने वालों के मुंह पर चांटा है।

शाह के मुताबिक- कोर्ट ने कहा कि किसी को आर्थिक फायदा पहुंचाने का कोई भी तथ्य सामने नहीं आया है। अखबारी निवेदनों और परसेप्शन के आधार पर कोर्ट किसी फैसले पर नहीं पहुंच सकता। जिन लोगों ने भी इस मामले पर देश को गुमराह करने का प्रयास किया, उन्हें देश की जनता और सेना के जवानों से माफी मांगनी चाहिए।

राफेल पर इतनी जानकारी कहां से लाए?
अमित शाह ने कहा- राहुल गांधी से कुछ सवाल पूछना चाहता हूं। राफेल पर उनके पास इतनी इन्फॉर्मेशन का सोर्स क्या था? उन्हें देश को यह बताना चाहिए। जब 2001 में एयरफोर्स ने प्लेन की डिमांड रख दी तो 2007 से 2014 तक यह सौदा क्यों फाइनल नहीं हुआ? कांग्रेस ने जितने भी सौदे किए सब में कमीशनखोरों और बिचौलियों की जगह रखी। कभी क्वात्रोची तो कभी किसी मिशेल को बिचौलिया रखा। मोदी सरकार ने सीधे गवर्मेंट टू गवर्मेंट डील की। 

शाह ने कहा- कांग्रेस पार्टी जब सत्ता में रहती है तो करप्शन और घोटालों की लड़ छूटती है। 10 सालों में साढ़े 12 लाख करोड़ रुपए के घोटाले करने वाली कांग्रेस जब मोदीजी पर आरोप लगाती है तो उन्हें अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। आज साबित हो गया कि जो चोर-चोर की गूंज लगाते हैं उनके खुद के मन में खुद ही भय होता है। मेरी राहुल को सलाह है कि सूरज पर चाहे जितनी भी मिट्टी उछालो, वह गिरती अपने मुंह पर ही है।

Tuesday, December 11, 2018

焦作市旅游局花400万设计一个logo?回应:仅19万

中新网12月11日电 针对网传“焦作市旅游局花费400万元制作城市品牌形象LOGO”一事,焦作市旅游局今日在官网发布情况说明,称该消息严重背离事实,纯属谣言。

  焦作市旅游局介绍,今年5月,焦作市旅游局委托洛可可国际品牌策划(北京)有限公司进行焦作城市品牌形象设计工作(LOGO标识及VI系统设计费用共19.08万元)。该团队共设计了40个标识方案。该局首先征求相关单位和专家的意见,确定了20个。随后通过意见征求和网络投票,经多方意见汇总,最终确定了该LOGO。

  焦作市旅游局指出,焦作城市品牌形象标识整体含义丰富,将焦作市最具代表性的太极拳、山水元素包含其中,且造型、含义与焦作紧密关联,具有唯一性,能够充分彰显焦作“太极圣地·山水焦作”的城市形象

据海南省旅游和文化广电体育厅通报,在369名游客滞留海南期间,海口、三亚两市政府以及海南省旅游和文化广电体育厅相继召开紧急会议,研究解决俄罗斯游客滞留问题。海南省旅游与文化广电体育厅获悉俄游客滞留后,第一时间成立了“俄罗斯游客滞留情况应对工作领导小组”,建立起与俄罗斯联邦旅游署、俄罗斯联邦交通部、伊尔航空公司的对接机制,协调海南省公安厅出入境管理局、海南航空等做好相关工作准备。

  经多方协调与沟通,并在俄罗斯联邦旅游署的努力下,伊尔航空公司11日安排飞机前来海南接回滞留游客。

11日上午,中新网记者在海口美兰国际机场内看到,滞留的俄罗斯游客陆续办理乘机手续,进入候机厅候机。当天13时20分许,IO866航班起飞离开海口。

  俄罗斯游客Knoyshev Artem告诉记者,他和家人11月27日从喀山抵达海口,在海南展开12天的旅程,原计划于12月9日返程。“由于俄罗斯的航空公司和旅行社的原因,我们这几天都只能待在海口。当地的旅游部门给我们作了很好的安排,海南是一个很美的地方,我和家人还会再来这里。”

  下一步,海南省旅游与文化广电体育厅将联合海南省交通厅对海口市、三亚市负责国际航线的开发部门加强指导,做好今后旅游包机商和航空公司的甄选工作。目前从三亚凤凰国际机场出入境的俄语地区各航班未受到此次纠纷影响。

Thursday, November 22, 2018

पाकिस्तान के कराची में चीन के वाणिज्य दूतावास पर हमला

पाकिस्तान के कराची में क्लिफ़टन इलाक़े में स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले में दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई है और कम से कम एक व्यक्ति घायल हो गया है.

एक पाकिस्तानी टेलीविजन चैनल ने कहा है कि एक हमलावर की भी मौत हुई है. पुलिस का कहना है कि चीनी राजनयिक सुरक्षित हैं.

स्थानीय लोगों के अनुसार शुक्रवार की सुबह चीन के वाणिज्य दूतावास पर हमलावरों ने धमाका किया और उसके बाद फ़ायरिंग शुरू कर दी. वहाँ तैनात सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की.

लेकिन सोशल मीडिया पर हमले की तस्वीरें और वीडियो देखे जा सकते हैं. तस्वीरों में इमारतों से धुआं उठता हुआ दिख रहा है. कहा जा रहा है कि बंदूकधारी चीन के वाणिज्य दूतावास में घुसने की फिराक में हैं.

वाणिज्य दूतावास की तरफ़ जाने वाले सभी रास्तों पर नाकेबंदी कर दी गई है.

कराची से बीबीसी संवाददाता रियाज़ सुहैल के अनुसार सिंध के पुलिस महानिरीक्षक ने इस बारे में रिपोर्ट मांगी है.

पाकिस्तान ने हालाँकि अभी तक इस हमले के बारे में कोई बयान जारी नहीं किया है.

अलगाववादी संगठन बलोच लिबरेशन आर्मी ने हमले की ज़िम्मेदारी ली है. संगठन के प्रवक्ता ने बीबीसी को फ़ोन पर बताया कि इस हमले में उनके तीन साथी शामिल हैं और ये हमला चीन को सबक सिखाने के मकसद से किया गया है.

विधानसभा को इस उम्मीद में निलंबित रखा गया था कि शायद नई सरकार की संभावनाएं बनें. बुधवार को पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने संकेत दिया कि वे मिलकर सरकार बनाने के लिए तैयार हैं. फॉर्मूला ये था कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस महबूबा मुफ्ती को सरकार बनाने के लिए समर्थन देंगी.

जब महबूबा का ख़त जम्मू (सर्दियों में जम्मू-कश्मीर की राजधानी) स्थित राजभवन पहुँचा तो राजनीतिक गतिविधियों में अचानक से तेज़ी आ गई. एक घंटे बाद ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपने संवैधानिक अधिकारों का हवाला देते हुए विधानसभा को भंग कर दिया. अभी इस विधानसभा का कार्यकाल दो साल से अधिक बचा हुआ था.

अब राज्यपाल की कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. मीडिया में इस बात पर चर्चा हो रही है कि गवर्नर के इस क़दम से कैसे जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र कमज़ोर हुआ. सवाल और बहस अपनी जगह बरकरार हैं, लेकिन यहाँ ये समझना अधिक ज़रूरी है कि विधानसभा भंग करने का फ़ैसला इतनी जल्दी क्यों ले लिया गया, और तब क्यों नहीं जब कांग्रेस, पीडीडी और नेशनल कॉन्फ्रेंस पिछले चार महीनों से यही राग अलाप रही थीं.

Monday, November 12, 2018

公众在香港是否还能批评中国领导人

当我知道巴丢草会来香港展览时,心情兴奋又担忧。他那种红黑色画风别树一格,作品从不忌违,直接调侃中国的领导人,讽刺中国最根深柢固的政治问题,可能是他拥抱一种热爱中国的情怀,也曾经在大陆生活,他的体会是一般在香港成长的艺术家所缺乏,能够更贴近地直斥其非。

然而,他的展览能否顺利举行充满问号,从铜锣湾书店事件中看得出来,如果正面批判领导人,现在是会有相当大的风险和后果。

结果一如所料,主办单位称收到中方威胁,以“安全理由”取消。是的,目前主办单位没有透露具体威胁是甚么,甚至有些人会怀疑是巴丢草和主办单位过份敏感,质疑这个威胁是否存在。但客观上来看,就意味着香港人,也许无法再在香港看到不经审查下讽刺中国时政或是中国领导人习近平的艺术品。

新闻自由低气压 红线飘移
巴丢草不是近期唯一的“受害者”,英国《金融时报》编辑马凯,疑因在外国记者会邀请有“港独”主张的民族党召集人陈浩天演讲,结果工作签证被拒,连入境也被禁。

马凯不是一个政客、不是任何议题的倡议者,他是一个在香港工作多年的外国记者,把香港的故事带到国际社会,但因为一场“中方不能接受”的演说,让他不能再踏足这个城市。这条“红线”并没有充分清晰的法律基础,马凯所属的外国记者会是在8月邀请陈浩天演讲,当时正正是港府有意以国家安全理由取缔民族党之时,但事实上,要到9月,即演讲后一个月,民族党才被港府列为“非法社团”,所以按“法律”,马凯并没有违法。

也许正因无法名正言顺将马凯绳之于“法”,中方或港府始终无就马凯不获续发签证和被拒入境提出清晰理据,只是笼统地说每宗个案都依法处理。建制派尝试为政府护航,质疑马凯怀有政治目的抵港,而非单纯的“旅客”,但这些转移视线的技俩,难以说服外界——在香港从事记者长达7年的记者如何一朝变成有“政治目的”?特区政府原本发给他的政府总部记者证要到2020年才到期,当初又是如何评估他的留港目的?

所以更多人会把政府做法,解读成一种当权者对一众外国记者的警告:“你勿来香港报道港独。”马凯就成为了这场风暴的第一只代罪羔羊,倘若外国记者无视警告,这类的强硬手段恐怕陆续有来。

值得一提的是,当民族党被视作“非法社团”后,任何人如果为该党“给予援助”,都可能被视为违法,不少传媒担心,采访陈浩天,也可能被视作提供平台宣扬民族党而卷入官非,香港记者协会也一度表达关注。香港记者报道要思前想后,外国记者亦要顾虑入境及逗留风险,来进行报道或是与个别团体和人士接触,这种新闻自由的气压之低实属前所未见,难免令人问一句,香港与大陆到底有哪里不一样?

'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां...' लिखने वाले अल्लामा इक़बाल और इमा की प्रेम कहानी

"मेरी बहुत बड़ी ख़्वाहिश है कि मैं दोबारा आपसे बात कर सकूं और आपको देख सकूं, लेकिन मैं नहीं जानता क्या करूं. जो व्यक्ति आपसे दोस्ती कर चुका हो उस के लिए मुमकिन नहीं कि वह आपके बग़ैर जी सके. जो कुछ मैंने लिखा है कृपया करके उसके लिए मुझे माफ कर दें."

जर्मन भाषा में लिखी गई अल्लामा इक़बाल की कई चिट्ठियों में से ये एक ख़त में बयां किए उनके जज्बात हैं.

इमा से इक़बाल की मुलाक़ात नीकर नदी के किनारे मौजूद हरे-भरे मनमोहक दृश्य वाले हाइडलबर्ग शहर में हुई थी.

एक तो मौसम ही कुछ ऐसा था और ऊपर से इक़बाल की जवानी और फिर सौम्य और सुंदर इमा. इसमें कोई हैरत की बात नहीं कि एक हिंदुस्तानी शायर का दिल उनके ऊपर आ गया, न आता तो आश्चर्य होता.

इक़बाल की नज़्म, 'एक शाम' (हाइडलबर्ग में नीकर नदी के किनारे पर) से उनके अहसासों का पता मिलता है.

इक़बाल के दिल में इमा की क्या जगह थी और इनका इमा से कैसा रिश्ता था, इसका कुछ अंदाजा इस ख़त से लगाया जा सकता है.

"कृपया करके अपने इस दोस्त को मत भूलिये, जो हमेशा आपको अपने दिल में रखता है और जो आप को भूल नहीं सकता. हाइडलबर्ग में मेरा ठहरना एक सुंदर सपना सा लगता है और मैं इस सपने को दोहराना चाहता हूं. क्या ये मुमकिन है? आप अच्छी तरह जानती हैं."

इन ख़तों से इक़बाल की छवि उन पारंपरिक अवधारणाओं बिलकुल अलग हमारे सामने आती है जो हम शुरू से ही अपने पाठ्य-पुस्तकों और इक़बाल की जयंती या पुण्यतिथि पर दिए जाने वाले भाषणों में देखते रहे हैं.

इन चिट्ठियों में अल्लामा इक़बाल 'हकीमुल उम्मत' (राष्ट्र का उद्धारक) और 'मुफ़क्किर-ए-पाकिस्तान' (पाकिस्तान का चिंतक) कम और इश्क़ के एहसास से लबरेज़ नौजवान अधिक नजर आते हैं.

21 जनवरी 1908 को इक़बाल ने लंदन से इमा के नाम एक ख़त में लिखा,

"मैं ये समझा कि आप मेरे साथ आगे और ख़तो किताबत (पत्र व्यवहार) नहीं करना चाहतीं और इस बात से मुझे बड़ा अफसोस हुआ. अब फिर आपकी चिट्ठी मिली है जिससे बहुत ख़ुशी मिली है. मैं हमेशा आपके बारे में सोचता रहता हूं और मेरा दिल हमेशा ख़ूबसूरत ख्यालों से भरा रहता है. एक चिंगारी से शोला उठता है. और एक शोले से एक बड़ा अलाव रोशन हो जाता है. आप में दया-भाव, करुणा नहीं है, आप नासमझ हैं. आप जो जी में आए कीजिए, मैं कुछ न कहूंगा, सदा धैर्यवान और कृतज्ञ रहूंगा."

इक़बाल उस समय न केवल शादीशुदा थे बल्कि दो बच्चों के बाप भी बन चुके थे.

ये अलग बात है कि कमसिन उम्र में मां-बाप की पसंद से करीम बीबी से होने वाली इस शादी से वे बेहद नाखुश थे.

एक खत में उन्होंने लिखा, "मैंने अपने वालिद साहब को लिख दिया है कि इन्हें मेरी शादी तय करने का कोई हक़ नहीं था, खासकर जबकि मैंने पहले ही इस तरह के किसी बंधन में पड़ने से इनकार कर दिया था. मैं उसे खर्च देने को तैयार हूं लेकिन लेकिन उसको साथ रखकर अपनी जिंदगी बर्बाद करने के लिए बिलकुल ही तैयार नहीं हूं. एक इंसान की तरह मुझे भी ख़ुश रहने का हक़ हासिल है. अगर समाज या कुदरत मुझे ये हक़ देने से इनकार करते हैं तो मैं दोनों का बाग़ी हूं. अब केवल एक ही उपाय है कि मैं हमेशा के लिए इस अभागे देश से चला जाऊँ या फिर शराब में पनाह लूं जिससे ख़ुदकुशी आसान हो जाती है."

ब्रिटेन पहुंच कर, पूरब के रहस्यपूर्ण और जादुई समाज में पले-बढ़े, अत्यधिक मेधावी इक़बाल ने महिलाओं का ध्यान चुंबक की तरह अपनी ओर खींच लिया.

इस समय तक इनकी कविताएं उत्तर भारत में हर जगह मशहूर हो चुकी थीं और लोग गलियों में इसे गाते फिरते थे, और इस ख्याति का कुछ-कुछ चर्चा इंग्लिस्तान भी पहुंच चुका था.